सब कुछ समेट, आगे बढ़ गया हूँ
पीछे कुछ भी नहीं छूटा
वक़्त आगे बढ़ चूका है, अब मेरी बारी हैं
मैं ने भी कदम बढ़ा दिए है।
अब कुछ भी नहीं पीछे पलट के देखने को
फिर भी लगता है सब कुछ छूट गया ।
आँखे न जाने किस चीज़ को ढूंढ रही हैँ।
शायद यहाँ बताये पल के यादें हैँ,
या फिर कुछ और, कुछ ऐसा
जो कभी मेरा था ही नहीं ।
Monday, 25 January 2016
जो मेरा था ही नहीं
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मत पूछना क्या हुआ
बस मेरा चेहरा देखना और समझ जाना, कल जो मैं दफ़्तर आऊं, मत पूछना क्या हुआ। हाँ की ख़ुशी और ना के गम के अंतर से, सब पता चल जायेगा, मत पूछना क...
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let me run run away from everyone hide behind the sun in dark, more darker than darkest in that place where I don't need to prove ...
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मैं बैठा सूखे पहाड़ो के सामने, बारिश के इंतजार में। इन नीले साफ़ आसमानों को ताकता। इस तपती धूप में भी कर रहा हुँ उम्मीद। शायद उम्मीद इसी क...