Monday, 25 January 2016

जो मेरा था ही नहीं

सब कुछ समेट, आगे बढ़ गया हूँ
पीछे कुछ भी नहीं छूटा
वक़्त आगे बढ़ चूका है, अब मेरी बारी हैं
मैं ने भी कदम बढ़ा दिए है।
अब कुछ भी नहीं पीछे पलट के देखने को
फिर भी लगता है सब कुछ छूट गया ।
आँखे न जाने किस चीज़ को ढूंढ रही हैँ।
शायद यहाँ बताये पल के यादें हैँ,
या फिर कुछ और, कुछ ऐसा
जो कभी मेरा था ही नहीं ।

मत पूछना क्या हुआ

बस मेरा चेहरा देखना और समझ जाना, कल जो मैं दफ़्तर आऊं, मत पूछना क्या हुआ। हाँ की ख़ुशी और ना के गम के अंतर से, सब पता चल जायेगा, मत पूछना क...